Saturday, March 28, 2009

लोकतन्त्र -मदन कश्यप की कुछ त्रिपदियाँ

एक लोकतन्त्र में तुम्हे हक है किसी को भी चुन लेना का मगर कुछ भी बदलने का नहीं
तुम्हे पता भी नहीं होता तुम्हारे द्वारा चुने जाने के पहले कोई उसे चुन चुका होता है
तुम उसको चुनते हो अथवा वह चुनता है तुमको कि तुम चुनो उसे ताकि वह राज करे।
तुम सरकार बदल सकते हो मगर उसे चलाने का अधिकार वे तुम्हे कभी नहीं देने वाले हैं।
बिके हुए लोगो की कोई कौम नहीं होती ऐसे में उन्हे चुनना कौम से विश्वासघात करना है।
जब कभी सत्ताधारियों का गिरोह बन जाता है तब राजतन्त्र से भी बदतर हो जाता है लोकतन्त्र ।