Saturday, March 28, 2009

खुशबू को फैलने का बहुत शौक है मगर मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता बनाए बगैर....

शैल कुमारी की कविता
अकेले और अंधेरे की यात्रा
छोटे- छोटे पौधे और घने वृक्षों को छोड़ ताड़ का वृक्ष अकेला ऊँचा उठता है।
घनी रात के साये में रात-रानी का फूलरह- रह कर महकता है
जीवन कुछ नही अकेले और अंधेरे की यात्रा है।