उलझनों से बचते हुए सीधा-साधा करके जीवनयापन करने की ललक,उलझे सवालों का सीधा जवाब की ठेकेदार पत्रकारिता में ला पटका। सो कलाकारी और गोताखोरी करने वाले एक अदने से सिपाही के तौर पर तैनात हूं और समय-समय दिग्गजों के जलवों का हमसफर और साक्षी बना। वैसे तो हम भटके और गुमराह समाज के पथप्रदर्शक हैं लेकिन सवाल के घेरे में खुद को घिरा पाते है। बेबस की अभिव्यक्ति का सहारा बनने वाले खुद के लिए कितने लाचार हैं। जबानधारी जीवों की जबान ब्लाग में जी हजूर मैं हाजिर हूं..