मैंने एक-एक कोपरख लिया है
मैंने हरेक को आवाज़ दी हैहरेक का दरवाजा खटखटाया है
मगर बेकार…मैंने जिसकी पूँछउठायी है उसको मादापाया है।
वे सब के सब तिजोरियों केदुभाषिये हैं।
वे वकील हैं। वैज्ञानिक हैं।अध्यापक हैं। नेता हैं।
दार्शनिक हैं । लेखक हैं। कवि हैं। कलाकार हैं।
यानी कि-कानून की भाषा बोलता हुआ
अपराधियों का एक संयुक्त परिवार है।
Tuesday, July 15, 2008
Friday, June 6, 2008
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